छत्तीसगढ़ : बीजापुर में आईईडी लगाते समय महिला नक्सली- घायल। निर्दयी और अमानवीय नक्सलियों ने घायल साथी को छोड़कर जंगल से भाग निकले ग्रामीणों और सुरक्षा बलों ने आगे बढ़कर घायल महिला की जान बचाई

छत्तीसगढ़ : बीजापुर में आईईडी लगाते समय महिला नक्सली- घायल।

निर्दयी और अमानवीय नक्सलियों ने घायल साथी को छोड़कर जंगल से भाग निकले

ग्रामीणों और सुरक्षा बलों ने आगे बढ़कर घायल महिला की जान बचाई

छत्तीसगढ़ ( बीजापुर ) ओम प्रकाश सिंह । दिनांक 03 अक्टूबर 2025 को लगभग 1800 बजे, जिला बीजापुर के थाना माडेड़ क्षेत्रांतर्गत बंदेपारा के जंगल में माओवादियों द्वारा आईईडी लगाते समय विस्फोट हो गया।



इस संबंध में पुलिस अधीक्षक बीजापुर डॉ. जितेन्द्र यादव ने बताया कि घटना में महिला माओवादी कैडर गुज्जा सोढ़ी गंभीर रूप से घायल हुई है और उसका दाहिना टखना क्षतिग्रस्त हो गया है।

🚨बस्तर रेंज के पुलिस महानिरीक्षक सुन्दरराज पट्टलिंगम ने बताया कि माओवादियों ने घोर निर्दयता और अमानवीयता का परिचय देते हुए घायल महिला साथी को उसका हथियार लेकर जंगल में तड़पता छोड़ दिया और स्वयं भाग निकले।



इसके बाद स्थानीय ग्रामीणों ने असाधारण साहस और मानवता का परिचय देते हुए घायल महिला को बचाया और उसे प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र माडेड़ पहुंचाया।

घटना की जानकारी मिलने पर स्थानीय पुलिस एवं सुरक्षा बलों ने घायल महिला माओवादी कैडर को बेहतर उपचार हेतु 04 अक्टूबर 2025 को लगभग 1400 बजे जिला अस्पताल बीजापुर स्थानांतरित किया।



घायल महिला नक्सली गुज्जा सोढ़ी का इलाज जारी है, जो सुरक्षा बलों की मानवीय एवं संवैधानिक कार्यशैली और बस्तर क्षेत्र में शांति एवं विकास के प्रयासों के प्रति ग्रामीणों के बढ़ते विश्वास को दर्शाता है।

🚨बस्तर रेंज के पुलिस महानिरीक्षक सुन्दरराज पट्टलिंगम ने माओवादियों के अमानवीय व्यवहार एवं अवैध कृत्य की कड़ी निंदा करते हुए कहा:
“यह घटना एक बार फिर माओवादी नेतृत्व के निर्दयी और स्वार्थी मानसिकता को उजागर करती है, जो निर्दोष युवाओं को अपने हिंसक एजेंडे का मोहरा बनाते हैं और घायल या असहाय होने पर उन्हें मरने के लिए छोड़ देते हैं। इसके विपरीत, ग्रामीणों और सुरक्षा बलों ने सच्ची मानवता और करुणा का परिचय देते हुए उसी महिला की जान बचाई जिसे माओवादियों ने बरगलाया था।
बस्तर के लोगों द्वारा दिखाया गया करुणा और हमारे बलों की प्रतिबद्धता इस क्षेत्र में जड़ें जमा रहे शांति, विश्वास और नक्सल-मुक्त भविष्य के परिवर्तन का प्रतीक है।
अब समय आ गया है कि माओवादी कैडर, विशेष रूप से स्थानीय स्तर के  कैडर माओवादी नेतृत्व की धोखेबाज़ और विनाशकारी नीति को समझें, हिंसा का मार्ग छोड़ें और समाज की मुख्यधारा में शामिल हों।”

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