गुंडाधूर कृषि महाविद्यालय द्वारा ग्राम- सेड़वा, वि.ख.- दरभा में दो दिवसीय कृषक प्रशिक्षण कार्यक्रम का सफल आयोजन

गुंडाधूर कृषि महाविद्यालय द्वारा ग्राम- सेड़वा, वि.ख.- दरभा में दो दिवसीय कृषक प्रशिक्षण कार्यक्रम का सफल आयोजन

छत्तीसगढ़ ( दरभा - जगदलपुर ) ओम प्रकाश सिंह । ग्राम सेड़वा, विकासखंड -दरभा में एक्रिप ऑन वायो कंट्रोल जनजाति उपयोजना के अंतर्गत कीट विज्ञान विभाग इंदिरा गाँधी कृषि विश्वविद्यालय रायपुर एवं शहीद गुंडाधूर कृषि महाविदयालय जगदलपुर के संयुक्त तत्वाधान में 'खरीफ फसलों के प्रमुख कीट व्याधियों का जैविक प्रबंधन' विषय पर प्रशिक्षण का सफल आयोजन डॉ आर. एस. नेताम, अधिष्ठाता के मार्गदर्शन में हुआ।



 
इस प्रशिक्षण कार्यक्रम के प्रथम दिवस में वैज्ञानिकों का विभिन्न विषयों पर व्याख्यान एवं द्वितीय दिवस में वैज्ञानिकों द्वारा कृषकों के खेतों पर नैदान्यिक भ्रमण का आयोजन किया गया।




प्रशिक्षण कार्यक्रम में मुख्य अतिथि ग्राम सेडवा के सरपंच हरचन कश्यप थे, कार्यक्रम में कीट वैज्ञानिक डॉ एन. सी. मण्डावी ने धान एवं दलहन फसलों के प्रमुख कीट व्याधियों को कीट व्याधियों का जैविक प्रबंधन के महत्व व फेरोमोन ट्रैप के प्रयोग विषय पर व्याख्यान दिया, शस्य वैज्ञानिक थी। 



पी. के. गुलाम ने वर्मी कम्पोस्ट बनाने एवं उपयोग की विधि को बताया, डॉ एम. एल. कुरै ने अनाज एवं सब्जियों के जैविक उत्पादों के महत्व को बताया, प्रहलाद सिंह नेताम ने ट्राईकोडर्मा एवं स्यूडोमोनास बनाने की विधि एवं इसके प्रयोग विषय पर व्याख्यान प्रस्तुत किया।



इस प्रशिक्षण कार्यक्रम के प्रमुख आयोजक डॉ वाई. एस. निराला, कीट वैज्ञानिक ने धान एवं दलहन फसलों के प्रमुख कीट व्याधियों के प्रबंधन के साथ - साथ ट्राईकोकार्ड व ब्रेकोकार्ड के प्रयोग विधि को विस्तारपूर्वक बताया, विकास रामटेके, वैज्ञानिक उद्यानिकी ने काजू फलोत्पादन की जैबिक प्रबंधन विषय पर व्याख्यान दिया, कृषि विज्ञान केंद्र के वैज्ञानिक, सुशील कश्यप ने पोषण वाटिका प्रबंधन पर व्याख्यान दिया। 



कार्यक्रम में उपस्थित सभी प्रशिक्षणार्थियों को सब्जियों के बीज, जैविक कीट नाशी बिवेरिया, फफुन्दनाशी ट्राईकोडर्मा, मित्र कीट हेतु ट्राईकोकार्ड व ब्रेकोकार्ड तथा ग्राफ्टेड काजू के पौधों का वितरण किया गया। 



इस प्रशिक्षण कार्यक्रम के आयोजन में सेवा एन जी ओ के कोऑर्डनिटर दीपक शर्मा एवं उनके टीम के सदस्यों की महत्वपूर्ण भूमिका रही। प्रशिक्षण कार्यक्रम के दूसरे दिन कृषकों के खेतों पर भ्रमण कर कीटों एवं फसलों की बीमारियों को सही पहचान करना तथा प्रक्षेत्र पर उनके नियत्रंण हेतु जैविक कीटनाशकों / जैविक फफूंद नाशकों के प्रयोग विधि को विस्तारपूर्वक बताया गया।

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