छत्तीसगढ़ : 87.50 लाख रूपये के ईनामी सहित 24 माओवादियों का पुलिस के समक्ष आत्मसमर्पण।
PLGA के कंपनी नम्बर 02 के सीवायपीसी(Deputy Commander) राकेश, PLGA बटालियन नम्बर 01 के सदस्य, माड़ डिवीजन कंपनी नम्बर 07 के पीपीसीएम, एसीएम/पीपीसीएम, कंपनी नम्बर 02 पार्टी सदस्य, सीएनएम अध्यक्ष, केएमएस अध्यक्ष, कालाहांडी-कंदमाल-बलांगिर-नुवापाड डिवीजन (KKBN डिवीजन) पार्टी सदस्य, एलओएस कंमाडर, सीएनएम सदस्य 87.50 लाख रूपये के ईनामी सहित कुल 24 माओवादियों का पुलिस के समक्ष आत्मसमर्पण।
PLGA के कंपनी नम्बर 02 के सीवायपीसी(Deputy Commander), माड़ डिवीजन कंपनी नम्बर 07 के पीपीसीएम, एसीएम/पीपीसीएम कंपनी नम्बर 02 पार्टी सदस्य, सीएनएम अध्यक्ष, केएमएस अध्यक्ष, कालाहांडी-कंदमाल-बलांगिर-नुवापाड डिवीजन (KKBN डिवीजन) पार्टी सदस्य, एलओएस कंमाडर, सीएनएम सदस्य,कमलापुर, पुजारीकांकेर, बिरियाभूमि, पेददाकोरमा, पोमरा आरपीसी के अन्य सदस्य है शामिल।
अंदरूनी क्षेत्रों में नवीन सुरक्षा कैम्प की स्थापना के साथ शासन की विकासोन्मुखी कार्य सड़कों का विस्तार, परिवहन की सुविधा, पानी, बिजली एवं शासन की अन्य जनकल्याणकारी योजना ग्रामीणों तक पहुंचने लगी है। सुरक्षा बलों का ग्रामीणों के साथ हो रहे सकारात्मक संवाद, सामुदायिक पुलिसिंग के तहत् दी जा रही जनकल्याकारी योजनाओं की जानकारी एवं छ0ग0 शासन की आत्मसमर्पण एवं पुनर्वास नीति के व्यापक प्रचार प्रसार से माओवादी संगठन से मोहभंग हुआ है।
संगठन के विचारों से हुआ मोहभंग और मिली निराशा एवं संगठन के भीतर बढ़ते आंतरिक मतभेद, समाज की मुख्यधारा से जुड़कर सुरक्षित पारिवारिक जीवन जीने की चाह के चलते किये आत्मसमर्पण।
1 जनवरी 2025 से अब तक माओवादी घटना में शामिल 237 माओवादी गिरफ्तार हुए, 227 माओवादियो ने आत्मसमर्पण किया एवं जिले में अलग-अलग मुठभेड़ में कुल 119 माओवादी मारे गए है।
आत्मसमर्पण कर समाज की मुख्यधारा में जुड़ने वाले सभी माओवादियों को प्रोत्साहन स्वरूप 50-50 हजार रुपए का चेक प्रदान किया गया।
छत्तीसगढ़ ( बीजापुर ) ओम प्रकाश सिंह । पुलिस महानिरीक्षक बस्तर रेंज, पुलिस महानिरीक्षक केरिपु सीजी सेक्टर छ0ग0 रायपुर, उप पुलिस महानिरीक्षक दंतेवाड़ा रेंज, उप पुलिस महानिरीक्षक केरिपु ऑप्स बीजापुर सेक्टर के मार्ग दर्शन व पुलिस अधीक्षक बीजापुर के निर्देशन में जिले में चलाये जा रहे माओवादी उन्मूलन अभियान के तहत डीआरजी, बस्तर फाईटर, एसटीएफ, कोबरा व केरिपु बल के द्वारा किये जा रहे संयुक्त प्रयासो से तथा छ0ग0 शासन की पुनर्वास एवं आत्मसर्पण नीति साथ ही छ0ग0 शासन द्वारा चलाये जा रहे नियद नेल्ला नार योजना से प्रभावित होकर PLGA के कंपनी नम्बर 02 के सीवायपीसी(Deputy Commander), माड़ डिवीजन कंपनी नम्बर 07 के पीपीसीएम, एसीएम/पीपीसीएम, कंपनी नम्बर 02 पार्टी सदस्य, सीएनएम अध्यक्ष, केएमएस अध्यक्ष, कालाहांडी-कंदमाल-बलांगिर-नुवापाड डिवीजन (KKBN डिवीजन) पार्टी सदस्य, एलओएस कंमाडर, सीएनएम सदस्य 87.50 लाख रूपये के ईनामी 20 माओवादियों सहित कुल 24 माओवादियों का पुलिस के समक्ष आज दिनांक 23/05/2025 को पुलिस उप महानिरीक्षक केरिपु बीजापुर राकेश कुमार, पुलिस अधीक्षक बीजापुर डॉ0 जितेन्द्र कुमार यादव, कमांडेंट 85 बटालियन केरिपु सुनिल कुमार राही, कमांडेंट 199 बटालियन केरिपु आनंद कुमार, कमांडेंट 201 कोबरा अमित कुमार, कमांडेंट 205 कोबरा नरेश पवार, कमांडेंट 210 कोबरा अशोक कुमार, अति0 पुलिस अधीक्षक बीजापुर मयंक गुर्जर, अति0पुलिस अधीक्षक ऑप्स यूलैण्डन यार्क, उप पुलिस अधीक्षक घनश्याम कामड़े, अनुविभागीय अधिकारी पुलिस तिलेश्वर यादव, उप पुलिस अधीक्षक डीआरजी विनीत साहू, उप पुलिस अधीक्षक नक्सल ऑप्स सुदीप सरकार, उप पुलिस अधीक्षक बस्तर फाईटर चन्द्रहास के समक्ष आत्मसमर्पण किये।
आत्मसमर्पित माओवादी के नाम एवं पद :-
छत्तीसगढ़ शासन की नक्सल उन्मूलन नीति और नियद नेल्लानार योजना के कारण कई माओवादी आत्मसमर्पण कर रहे हैं। यह योजना नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में शांति और विकास को बढ़ावा देने के लिए बनाई गई है। इस योजना के तहत, आत्मसमर्पण करने वाले माओवादियों को विभिन्न सुविधाएं प्रदान की जाती हैं, जैसे कि पुनर्वास, रोजगार और शिक्षा। इसके अलावा, नक्सल हिंसा से प्रभावित लोगों के लिए भी राहत और पुनर्वास की व्यवस्था की जाती है। यह योजना माओवादियों को आत्मसमर्पण करने और समाज की मुख्यधारा में शामिल होने के लिए प्रोत्साहित कर रही है। इसके परिणाम स्वरूप कई माओवादी आत्मसमर्पण कर रहे हैं और समाज में शांतिपूर्ण जीवन जीने की दिशा में कदम बढ़ा रहे हैं।
माओवादियों द्वारा आत्मसमर्पण के पीछे जिले में हो रहे विकास कार्य बड़ा कारण रहा, तेजी से बनती सड़कें, गावों तक पहुँचती विभिन्न सुविधाओं ने इन्हें प्रभावित किया है। संगठन के विचारों से मोहभंग एवं मिली निराशा, संगठन के भीतर बढ़ते आंतरिक मतभेद इनके आत्मसमर्पण का बहुत बड़ा कारण है।
छत्तीसगढ़ शासन की नवीन पुनर्वास नीति ने कई माओवादियों को नई उम्मीद दी है और उन्हें संगठन के भीतर शोषण और क्रूर व्यवहार से बाहर निकलने के लिए प्रेरित किया है। यह नीति उन्हें समाज की मुख्यधारा में लौटकर सामान्य जीवन जीने की आशा देती है। इसके अलावा सुरक्षा बलों के लगातार अंदरूनी क्षेत्रों में कैम्प स्थापित करने और क्षेत्र में चलाए जा रहे आक्रामक अभियानों ने भी माओवादियों को संगठन छोड़ने के लिए प्रेरित किया है। आत्मसमर्पित माओवादी क्षेत्रान्तर्गत सक्रिय रूप से कार्यरत रहे हैं और अब वे समाज की मुख्यधारा में शामिल होने के लिए तैयार हैं । यह पुनर्वास नीति छत्तीसगढ़ शासन की एक महत्वपूर्ण पहल है, जिसका उद्देश्य माओवादियों को समाज की मुख्यधारा में शामिल करना और उन्हें सामान्य जीवन जीने का अवसर प्रदान करना है।
जिस प्रकार से क्षेत्र में माओवादियों के विरूद्ध प्रभावी कार्यवाही जारी है और माओवादी संगठन को काफी नुकसान हुआ है आने वाले समय में और भी नक्सलियों के संगठन छोड़कर आत्मसमर्पण करने की आसूचना प्राप्त हो रही है। आत्मसमर्पण कराने में डीआरजी, बस्तर फाईटर, एसटीएफ,केरिपु 85 वाहिनी, केरिपु 199 वाहिनी एवं कोबरा 201, 205, 210 का विशेष योगदान रहा है। इस प्रकार माओवादियों के आत्मसर्पण से शीर्ष माओवादी कैडर के लिए बड़ा नुकसान हुआ है। नक्सल मुक्त बस्तर की कल्पना साकार रूप ले रहा है।
"अपील"- बीजापुर के पुलिस अधीक्षक डॉ जितेंद्र कुमार यादव ने नक्सलियों से अपील की है कि वे सरकार की नवीन आत्मसमर्पण एवं पुनर्वास नीति का लाभ उठाएं और समाज की मुख्यधारा में शामिल हों। उन्होंने बताया है कि सरकार की नवीन पुनर्वास नीति के तहत् मिलने वाले फायदों ने कई माओवादियों को आकर्षित किया है। नक्सलियों के घर वाले भी उन्हें वापस लाना चाहते हैं और उन्हें समाज की मुख्यधारा में शामिल होने के लिए प्रोत्साहित कर रहे हैं। उन्होंने नक्सलियों से अपील की है कि वे बाहरी लोगों की भ्रामक बातों और विचारधारा से बाहर निकलें और समाज की मुख्यधारा में शामिल हों, जहाँ वे निर्भीक रूप से सामान्य जीवन व्यतीत कर सकें।
संगठन छोड़ने का कारण:-
छ0ग0 शासन की पुनर्वास नीति के व्यापक प्रचार-प्रसार पुनर्वास योजना के तहत लाभ व परिवार के साथ खुशहाल जीवन जीने की सोच लिये समाज के भटके माओवादियों ने संगठन में उनके कार्यो की उपेक्षा करने, भेदभाव पूर्ण व्यवहार एवं माओवादियों के द्वारा आदिवासियों पर किये जा रहे अत्याचार से त्रस्त होकर,छ0ग0 शासन की आत्मसमर्पण एवं पुनर्वास नीतियों से प्रभावित होकर भारत के संविधान पर विश्वास रखते हुए उक्त माओवादियों द्वारा पुलिस के समक्ष आत्मसमर्पण किया गया। आत्मसमर्पण करने पर इन्हें उत्साहवर्धन हेतु शासन की आत्मसमर्पण एवं पुनर्वास नीति के तहत् 50000-50000/- रूपये पचास हजार रूपये का चेक प्रोत्साहन राशि के रूप में प्रदान किया गया।
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